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दादी माँ

अत्यधिक आनादित ददी माँ

अपनी दो पोतियों के नियमित विकास पर

"झुर्रियों में छुपा आशीर्वाद,
पोती की सफलता में खिल गया,
पढ़ाई की परख न थी दादी को,
पर संतोष का स्वाद मिल गया।"

"मैं  छात्राओं की  दादी हूँ, और मेरी दो पोतियाँ मेरे जीवन की सबसे प्यारी पूँजी हैं। जब मैं उन्हें रोज़ सीखते, बढ़ते और मुस्कुराते हुए देखती हूँ, तो मेरा दिल आनंद और गर्व से भर जाता है।

उनके जीवन में जो नियमितता और संतुलन है — चाहे वह पढ़ाई हो, खेल हो या संस्कार — वह इस बात का प्रमाण है कि सही मार्गदर्शन और प्रेम से बच्चों की जड़ें मजबूत होती हैं।

हर दिन जब वे कुछ नया सीखती हैं — एक कविता, एक रंग, एक सवाल का उत्तर — मुझे लगता है जैसे मेरी आत्मा तृप्त हो रही है। उनकी आँखों में जो चमक है, वो मेरे जीवन की असली पूँजी है।"मैं बहुत पढ़ी-लिखी तो नहीं हूँ, लेकिन इतना ज़रूर समझती हूँ कि मेरी छोटी-छोटी पोतियों की ज़िंदगी में कुछ अच्छा हो रहा है।

जब से JGO फाउंडेशन की टीम हमारी आंगनबाड़ी में नियमित सेवा दे रही है, तब से मुझे महसूस होता है कि मेरी पोतियों को शिक्षा की शुरुआत में जो सही दिशा चाहिए थी, वो अब उन्हें मिल रही है।                                                                                                                                                                                                                                                                 मैं JGO फाउंडेशन की पूरी टीम को दिल से धन्यवाद देती हूँ — उन्होंने मेरी पोतियों के पहले कदम को इतना मजबूत और सुंदर बना दिया।"

Inspired by पृथ्वी सिंह राजपूत?

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