श्याम पैलेस में लड़के-लड़कियों महिलाओं व युवा वर्ग के संग
JGO FOUNDATION द्वारा आयोजित “अंतर-ध्यान संगम (सोपान-2)” एक अनूठी पहल थी, जिसका उद्देश्य समाज के विभिन्न वर्गों को मानसिक, शारीरिक और आत्मिक रूप से जागरूक बनाना था। तीन दिवसीय इस ध्यान कार्यशाला में 45-45 मिनट के सत्र आयोजित किए गए, जिसमें बच्चों, युवाओं, महिलाओं, व्यवसायियों एवं स्वास्थ्य क्षेत्र से जुड़े लोगों की सक्रिय भागीदारी रही।
इस आयोजन में सिर्फ योग या ध्यान तक सीमित न रहकर, नृत्य ध्यान, प्राणायाम, और ध्वनि ध्यान जैसी तकनीकों के माध्यम से प्रतिभागियों को स्वयं से जुड़ने, अपने भीतर झाँकने और जीवन की आपाधापी से राहत पाने का अवसर मिला। हर सत्र की शुरुआत श्री गणेश मंत्र, स्वस्तिना मंत्र और राष्ट्रगान के साथ हुई, जिससे प्रतिभागियों के मन में आध्यात्मिक ऊर्जा और राष्ट्रीय चेतना का संचार हुआ।
कार्यक्रम के लिए पूर्व पंजीकरण अनिवार्य रखा गया था, जिसमें प्रतिभागियों के स्वास्थ्य से जुड़ी जानकारी भी ली गई। यह सुनिश्चित किया गया कि सत्रों में भाग लेने वाले सभी के लिए यह प्रक्रिया सुरक्षित, लाभकारी और सहज हो। साथ ही, मानसिक काउंसलिंग, करियर मार्गदर्शन, पारिवारिक समस्याओं एवं बाल मनोविज्ञान जैसे विषयों पर भविष्य हेतु इच्छुक प्रतिभागियों के लिए अलग पंजीकरण की सुविधा भी उपलब्ध करवाई गई।
स्वयंसेवकों की टीम ने पूरी प्रतिबद्धता और ऊर्जा के साथ कार्यक्रम को सुचारु रूप से संचालित किया। पंजीकरण व्यवस्था, सत्र संचालन, मंच प्रबंधन और तकनीकी व्यवस्थाएं सब कुछ आत्मीयता और कुशलता से संपन्न हुआ। गंगाशहर, रानीबाजार एवं आसपास के क्षेत्र से आए प्रतिभागियों ने इसे सामूहिक लोक-जागरण का स्वरूप प्रदान किया।
इस आयोजन में बहुत से प्रतिभागियों ने भाग लिया, जिसमें महिलाएं, पुरुष, और 5 वर्ष से ऊपर के 16 बच्चों की सहभागिता रही। बच्चों की मासूम ऊर्जा और महिलाओं की गहराई ने वातावरण को विशेष भावनात्मकता और ऊर्जा से भर दिया।
कार्यक्रम के अंत में प्रतिभागियों ने मानसिक विश्रांति, आंतरिक संतुलन और एक नई आत्मिक दिशा का अनुभव किया। यह आयोजन मात्र योग या ध्यान सत्र नहीं था, बल्कि एक सांस्कृतिक, सामाजिक और आध्यात्मिक चेतना का संगम था।
JGO FOUNDATION की यह पहल इस बात का प्रमाण है कि जब सामूहिक प्रयास समर्पण और उद्देश्य के साथ किए जाते हैं, तो वे समाज में स्थायी और सकारात्मक परिवर्तन की दिशा तय करते हैं। “अंतर-ध्यान संगम” एक सार्थक प्रयोग था – शांति, संतुलन और समाज-सशक्तिकरण की ओर बढ़ते कदमों का प्रतीक है ।