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JGO फाउंडेशन  द्वारा संचालित "गौ- मातृ धाम प्रोजेक्ट" का उद्देश्य शहरी परिवेश में उपेक्षित और भूखे गौवंश की सेवा करना था। मई की भीषण ग्रीष्म ऋतू  में, बीकानेर स्थित नागनेची माता मंदिर परिसर के बाहर इस सेवा अभियान की रूपरेखा तैयार की गई। अत्यधिक गर्मी और जल की कमी को देखते हुए यह अनुभव किया गया कि परंपरागत सूखे या हरे चारे की जगह गौवंश को जलयुक्त व ठंडक प्रदान करने वाले फलों, विशेषतः तरबूज, का वितरण अधिक उपयोगी हो सकता है। इसी उद्देश्य के साथ यह प्रोजेक्ट तैयार हुआ जिसमें लगभग 50 आवारा गायों की सेवा की गई।

इस सेवा कार्य की सबसे महत्वपूर्ण बात यह थी कि यह सिर्फ एक प्रतीकात्मक सेवा न होकर, वास्तविक ज़रूरतमंद पशुओं के लिए किया गया मानवीय प्रयास था। कई दिनों के निरीक्षण और सर्वेक्षण के बाद यह स्पष्ट हुआ कि मंदिर परिसर के बाहर अनेक ऐसे आवारा पशु हैं, जो भोजन की तलाश में इधर-उधर भटकते हैं और माला, प्रशाद या कूड़े के अवशेषों को खाकर जीवन यापन करते हैं। गौशालाओं में चारा डालने जैसे परंपरागत तरीकों से इतर जाकर इस योजना का लक्ष्य उन उपेक्षित पशुओं तक सेवा पहुँचाना था, जो किसी गोशाला में नहीं बल्कि सड़कों पर जीवन यापन करते हैं।

 यह सेवा कार्यक्रम लगभग दो घंटे चला। इस दौरान लगभग 200 किलो तरबूज स्वयंसेवकों द्वारा काटकर गायों को बड़े प्रेम और शांतिपूर्ण ढंग से खिलाए गए। यह सेवा कार्य मंदिर परिसर के बाहर सड़क के किनारे बैठकर पूर्ण समर्पण भाव से किया गया, जिससे न केवल गौवंश को राहत मिली, बल्कि स्थानीय लोगों में भी सकारात्मक ऊर्जा का संचार हुआ। इसी सेवा के प्रभावस्वरूप अगले ही दिन एक स्थानीय नागरिक ने उसी स्थान पर हरे चारे की सेवा की, जो यह दर्शाता है कि सेवा कार्य जब ईमानदारी से किया जाए तो वह समाज में प्रेरणा बनकर फैलता है।

इस अभियान के दौरान कार्य की योजना, क्रियान्वयन, पर्यवेक्षण और दस्तावेज़ीकरण की सभी जिम्मेदारियों को सुव्यवस्थित रूप से निभाया गया। यह प्रोजेक्ट दिखाता है कि किस प्रकार एक छोटा, विचारशील और स्थानीय स्तर पर केंद्रित प्रयास भी समाज में स्थायी और प्रेरणादायक बदलाव ला सकता है। यह सेवा केवल तात्कालिक राहत तक सीमित नहीं रही, बल्कि "गौ- मातृ धाम" जैसे स्थायी संरचना के निर्माण की नींव भी पड़ी।

भविष्य में इस प्रकार की सेवा को संगठित रूप में विस्तारित करने के उद्देश्य से यह भी प्रस्तावित किया गया कि कुछ क्षेत्रों में इन आवारा पशुओं के लिए एक स्थायी आश्रय स्थल यानी "गौ- मातृ धाम" का निर्माण किया जाए, जिससे मंदिर आने वाले श्रद्धालुओं को भी सुविधा मिले और पशु भी सुरक्षित जीवन जी सकें। यह प्रोजेक्ट JGO फाउंडेशन की उस सोच को दर्शाता है, जो केवल सेवा नहीं, बल्कि संवेदना और सतत सामाजिक बदलाव की दिशा में काम करने को समर्पित है।