राम भक्ति के सुरों से बंधी सेवा की शुरुआत.....
सेवा से बढ़कर जीवन में कुछ भी नही है,अगर परमात्मा ने तुम्हें इस लायक बनाया है की तुम सेवा कर सको तो उस परम पिता परमेश्वर के प्रति धन्यवाद का भाव रखो| क्योंकि तुम सोभाग्य शाली हो की तुम्हें माध्यम बनाया है……….. JGO फाउंडेशन द्वारा संचालित “सुदाम तृप्ति प्रोजेक्ट” एक भावनात्मक, सांस्कृतिक और सामाजिक पहल थी, जिसका उद्देश्य समाज के उन वर्गों को आत्मीयता और सम्मान देना था जो आमतौर पर हमारे दैनिक जीवन को सहज बनाने में तो महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं, परंतु अक्सर उपेक्षित रह जाते हैं। इस सेवा अभियान की विशेषता यह थी कि इसमें बीकानेर की पारंपरिक रामधुन के साथ-साथ आत्मिक संतोष और सामाजिक समरसता का समावेश किया गया।
इस सेवा कार्य का शुभारंभ श्री कनहैया लाल जी शर्मा (निदेशक, JGO फाउंडेशन) और उनकी समर्पित टीम के निर्देशन में हुआ। इस अभियान के अंतर्गत प्रसिद्ध बीकानेरी बिशनलाल-बाबूलाल नमकीन और देसी घी में बनी पारंपरिक बूंदी को चुना गया, जो न केवल स्वाद का प्रतीक है बल्कि स्थानीय संस्कृति का भी एक अहम हिस्सा है। इन पारंपरिक व्यंजनों के माध्यम से तन और मन की तृप्ति का प्रयास किया गया, जिसमें स्वाद के साथ-साथ सेवा की भावना भी समाहित थी।
“सुदाम तृप्ति” के तहत हमने अपने समाज के उन ‘अनदेखे नायकों’ को प्राथमिकता दी, जिनका योगदान हमारे जीवन की नींव को मजबूती देता है—जैसे वे मजदूर जो इमारतों की नींव डालते हैं, सफाईकर्मी जो हमारे आस-पास स्वच्छता बनाए रखते हैं, टैंकर चालक जो घर-घर जल पहुंचाते हैं, ऑटो रिक्शा चालक जो रोज़ यात्रा को सरल बनाते हैं, और वे हॉकर जो सुबह-सवेरे समाचार हमारे द्वार तक लाते हैं। इसके अलावा दूधवाले, सब्ज़ी विक्रेता, डिलीवरी बॉय, दुकानदार, आंगनबाड़ी व सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले बच्चे और हमारे बुज़ुर्ग – ये सभी इस सेवा का हिस्सा बने।
इन सभी वर्गों को जब परंपरागत मिठास और नमकीन स्वाद से युक्त नाश्ता सप्रेम दिया गया, तो केवल उनका पेट ही नहीं भरा, बल्कि उनके हृदयों में भी सम्मान और अपनापन का भाव जागृत हुआ। रामधुन के वातावरण में बाँटी गई यह सेवा एक आध्यात्मिक ऊर्जा के साथ आत्मसंतोष का अनुभव भी लेकर आई। इस सेवा के ज़रिये हमने यह सन्देश देने की कोशिश की कि समाज का हर व्यक्ति, चाहे उसकी भूमिका जो भी हो, सम्मान और संवेदना का अधिकारी है।
“सुदाम तृप्ति” केवल एक सेवा नहीं, बल्कि एक विचार था—जो परंपरा, करुणा और समानता को जोड़ता है। यह फाउंडेशन की उस सोच को दर्शाता है जिसमें हर व्यक्ति की गरिमा और योगदान का मूल्य समझा जाता है। यह प्रोजेक्ट हमें भी आंतरिक रूप से तृप्त कर गया, और हमें विश्वास है कि इसने समाज में एक सकारात्मक और प्रेरणादायक ऊर्जा का संचार किया।