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धर्म और संस्कृति जब सेवा के रूप में जीवन में उतरते हैं, तब वे केवल परंपराएं नहीं रह जातीं—बल्कि समाज को दिशा देने वाली जीवंत शक्तियाँ बन जाती हैं। JGO Foundation का यह स्पष्ट मानना है कि भारत की पारंपरिक सांस्कृतिक और धार्मिक परंपराएं केवल धार्मिक कर्मकांड नहीं, बल्कि मानवीय मूल्यों और सामाजिक चेतना को जगाने का माध्यम हैं।

इसी विचार को साकार करने हेतु JGO Foundation द्वारा "धर्म–संस्कृति संगम परियोजना" का संचालन किया गया, जिसका उद्देश्य लोगों को विशेषकर युवाओं को भारतीय संस्कृति की जड़ों से जोड़ना और सेवा को जीवनशैली का हिस्सा बनाना है। निर्जला एकादशी जैसे पर्व निःस्वार्थ सेवा, आत्मसंयम और समाज-कल्याण के प्रतीक हैं, जिन्हें केवल मनाना नहीं, समझना और जीना भी आवश्यक है।

परियोजना के अंतर्गत बीकानेर शहर के अनेक हिस्सों में जाकर वहाँ की छबील सेवा परंपरा का अवलोकन, अध्ययन और दस्तावेजीकरण किया गया। दर्जनों छबीलों की वीडियोग्राफी व फोटोग्राफी कर इस लोक परंपरा को दृश्य-धरोहर के रूप में संरक्षित करने का प्रयास किया गया। साथ ही वर्षों से सेवा में जुटे लोगों से संवाद स्थापित कर उनकी प्रेरणाओं व अनुभवों को संकलित किया गया।

छबीलों की साज-सज्जा, शुद्ध सामग्री, सेवाकारों की मेहनत और श्रद्धा ने इस आयोजन को अत्यंत पवित्र और प्रेरक बना दिया। JGO Foundation ने स्वयं भी विभिन्न क्षेत्रों में छाछ, मीठे जल, शरबत और फलों से बनी ठंडी पेय सामग्री की छबीलें आयोजित कीं। यह सेवा आयोजन केवल वितरण का कार्य नहीं था, बल्कि भारतीय मूल्यों को व्यवहार में लाने की सच्ची कोशिश थी।

इस सेवा में बुज़ुर्गों की आशीर्वादी उपस्थिति, महिलाओं की गरिमामयी भागीदारी, युवाओं का जोश और बच्चों की मुस्कान, सबने इस आयोजन को जीवंत और सम्पूर्ण बना दिया। सेवा, भक्ति और सहयोग—इन तीन तत्वों का संगम इस परियोजना की आत्मा रहा। कैमरे ने जहाँ इन क्षणों को संजोया, वहीं इन प्रयासों ने संस्कृति के बीज कई युवा हृदयों में रोपित किए।

JGO Foundation का मानना है कि धार्मिक आयोजन केवल रीति-रिवाज नहीं, बल्कि समाज को जोड़ने और मानवीय मूल्यों को पुनर्स्थापित करने का सशक्त माध्यम हैं। निर्जला ग्यारस के इस आयोजन ने यह संदेश दिया कि जब कोई स्वयं प्यासा रहकर किसी अजनबी को जल पिलाता है—तभी सच्चे धर्म का साक्षात्कार होता है।

यह कार्यक्रम केवल एक दिन की गतिविधि नहीं थी, बल्कि एक ऐसी यात्रा थी जो संस्कृति को जीवंत रखने, सेवा को जीवन का संस्कार बनाने और युवा पीढ़ी को अपने मूल से जोड़ने की दिशा में उठाया गया सार्थक कदम था। JGO Foundation इस प्रकार की पहल से यह सुनिश्चित करना चाहता है कि परंपरा केवल स्मृति नहीं, बल्कि समाज की सक्रिय धारा बनी रहे।