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JGO फाउंडेशन द्वारा “संस्कृति वीर संगम प्रोजेक्ट” के अंतर्गत प्रवासी बस्ती की लड़कियों और बच्चों के लिए आयोजित आत्म-रक्षा प्रशिक्षण शिविर एक अत्यंत महत्वपूर्ण और सशक्त पहल रही। यह शिविर प्रवासी बस्ती क्षेत्र में विभिन्न चरणों में आयोजित किया गया, जिसका उद्देश्य समाज के कमजोर वर्गों की बालिकाओं और बच्चों को मानसिक, शारीरिक व भावनात्मक रूप से सशक्त बनाना था।

इस कार्यक्रम की विशेषता यह रही कि इसमें केवल आत्म-रक्षा की तकनीकों का सैद्धांतिक ज्ञान ही नहीं दिया गया, बल्कि उनका व्यावहारिक प्रशिक्षण और बार-बार अभ्यास करवाया गया। प्रत्येक सत्र की शुरुआत एरोबिक्स और हल्की फिजिकल एक्टिविटीज़ से की गई, जिससे बच्चों की ऊर्जा सक्रिय हुई और शरीर लचीला बना। बालिकाओं को यह बताया गया कि किसी भी आपात स्थिति में सबसे पहले डरने की बजाय, पूरे आत्मविश्वास के साथ प्रतिक्रिया देना आवश्यक है।

प्रशिक्षण में यह समझाया गया कि किसी भी असुरक्षा की स्थिति में सबसे पहले शोर मचाना, सही तरीके से मदद के लिए चिल्लाना, और तुरंत स्थान से भाग निकलना प्राथमिक उपाय हैं। साथ ही यह भी सिखाया गया कि किसी व्यक्ति द्वारा पकड़े जाने, पीछा किए जाने या गला दबाने जैसी स्थितियों से कैसे बचा जाए। तकनीकी दृष्टि से, प्रशिक्षण में कोहनी, घुटने, हथेली, मुट्ठी, अंगुलियाँ, पैर आदि शरीर के अंगों से किए जाने वाले रक्षात्मक वारों का अभ्यास शामिल था।

छोटे बच्चों के लिए विशेष रूप से "ना" कहना, अनजान व्यक्ति से दूरी बनाना, सुरक्षित स्थान पहचानना, और सही समय पर सहायता माँगने जैसी व्यवहारिक शिक्षा दी गई। वहीं लड़कियों को सार्वजनिक स्थलों जैसे पार्क, स्कूल या भीड़ में असहज स्थिति का सामना करते समय संयम और सजगता से काम लेने की तरकीबें बताई गईं।

प्रशिक्षण में नवीनता यह रही कि बच्चों को फोकस पैड्स पर पंचिंग अभ्यास कराया गया और दैनिक जीवन की वस्तुओं जैसे बैग, पानी की बोतल, किताब आदि को आत्म-रक्षा के औजार के रूप में प्रयोग करने की जानकारी दी गई। प्रशिक्षण के अंत में बच्चों में राष्ट्रभक्ति और अनुशासन की भावना को प्रोत्साहित करने हेतु राष्ट्रगान भी करवाया गया।

इस कार्यक्रम के दौरान बच्चों की संख्या में निरंतर वृद्धि हुई — प्रारंभ में कम प्रतिभागी रहे जो बढ़कर अंत में बड़े समूह में पहुँचे। यह बढ़ती भागीदारी इस बात का संकेत है कि समाज में इस तरह के प्रयासों की आवश्यकता है और ये बच्चों के आत्मविश्वास को मजबूत करने में सहायक सिद्ध हो रहे हैं। प्रशिक्षण के अंत तक अधिकांश बालिकाएं आत्म-रक्षा की मूलभूत तकनीकों में पारंगत हो गईं, और उनमें साहस, सतर्कता व सहयोग की भावना देखी गई।

यह आत्मरक्षा का “संस्कृति वीर संगम प्रोजेक्ट”  शिविर न केवल एक प्रशिक्षण कार्यक्रम था, बल्कि यह एक सामाजिक संदेश था कि लड़कियों को डर से नहीं, दृढ़ता से जीना सिखाना चाहिए। JGO फाउंडेशन  द्वारा चलाया गया यह प्रोजेक्ट समाज को सुरक्षा और सशक्तिकरण की दिशा में प्रेरित करने वाला एक सफल प्रयास रहा, जो भविष्य में और अधिक बच्चों को जागरूक व आत्मनिर्भर बनाने का मार्ग प्रशस्त करेगा।