जय गणेशी के गणेश
कभी हमारे घरों में त्योहारों का इंतज़ार महीनों पहले से शुरू हो जाता था।
आंगन में रंगोली, रसोई में पकवानों की खुशबू, बच्चों की हंसी, और मंदिर की घंटियों की गूंज — यही तो थी हमारी भारतीय संस्कृति की आत्मा।
लेकिन जैसे-जैसे वक्त बदला, हमारी दिनचर्या ने इन परंपराओं को पीछे छोड़ दिया।
अब समय है कि हम फिर से अपने धर्म और संस्कृति की ओर लौटें — अपनी जड़ों से जुड़ें, और आने वाली पीढ़ियों को इन परंपराओं की महक का अहसास कराएँ।
🎥JGO Foundation( जय गणेशी ऑर्गेनाइज़र फाउंडेशन ) ने इसी सोच को साकार करने के लिए शुरू किया —
✨ “धर्म व संस्कृति संगम प्रोजेक्ट”
एक ऐसी पहल जो न केवल धार्मिक स्थलों को दिखाती है, बल्कि उनके भीतर बसते भाव, विश्वास और भक्ति के प्रवाह को भी महसूस कराती है।
27 अगस्त 2025 को JGO Foundation की टीम बीकानेर की गलियों से गुज़री —
हाथों में कैमरे और दिलों में भक्ति लिए, 11 प्रसिद्ध गणेश मंदिरों के दर्शन की इस यात्रा ने हर किसी के मन में एक नई ऊर्जा भर दी।
मंदिरों की घंटियों से लेकर मोदक की खुशबू तक, हर दृश्य ने हमें यह एहसास दिलाया कि गणेश जी केवल आराध्य नहीं, परिवार के सदस्य हैं।
श्रद्धालु जब "गणपति बप्पा मोरया" का जयघोष करते थे, तो लगता था जैसे पूरा बीकानेर भक्तिरस में डूब गया हो।
JGO Foundation की टीम ने बीकानेर के इन 11 गणेश मंदिरों की व्लॉगिंग की –
धोती गणेश (बड़ा गणेश जी)
गणेश धोरा
लक्ष्मीनाथजी के गढ़ गणेश मंदिर
गढ़ गणेश – जूनागढ़
श्री ब्राह्मण स्वर्णकार गणेश मंदिर
भालचन्द्र / इकिसिया गणेश जी
आदि गणेश जी
सागर गणेश जी
वैष्णोधाम गणेश मंदिर
कान गणेश जी
नागनेची गणेश मंदिर
हर मंदिर की अपनी कहानी थी —
कहीं सदियों पुरानी लोककथाएँ, कहीं भक्तों के चमत्कारिक अनुभव।
हमने पुजारियों और श्रद्धालुओं से संवाद कर इन कहानियों को कैमरे में नहीं, दिलों में कैद किया।
टीम ने हर मंदिर के बाहरी और भीतरी वातावरण को व्लॉग किया।
हमने प्रसाद बेचने वाले दुकानदारों से बात की, पुजारियों से इतिहास जाना और भक्तों से उनके विश्वास सुने।
इस यात्रा में हमने देखा कि धर्म केवल पूजा नहीं, बल्कि सामाजिक एकता, आजीविका और आत्मिक शांति का माध्यम है।
गणेश चतुर्थी के दिन जब मंदिरों में आरती की गूंज उठी, तब हमें लगा —
“भक्ति की कोई सीमा नहीं, केवल अनुभव की गहराई है।”
इस व्लॉगिंग सीरीज़ ने सोशल मीडिया पर हज़ारों लोगों को जोड़ा।
युवाओं ने इसे देखकर पहली बार महसूस किया कि उनके शहर के मंदिरों में इतिहास, संस्कृति और अध्यात्म एक साथ बसते हैं।
बुजुर्गों ने कहा — “अब हमें लगता है कि हमारी परंपरा फिर से जीवित हो रही है।”
यह पहल न सिर्फ धार्मिक भावना को जगाने में सफल रही, बल्कि स्थानीय दुकानदारों, सेवाधारियों और कलाकारों को भी नई पहचान दिलाई।
कह सकते हैं कि यह सिर्फ एक प्रोजेक्ट नहीं था — बल्कि धर्म, संस्कृति और समाज के संगम की जीवंत मिसाल थी।
“आखोती त्योहारों की महिमा और रस को परिवारों में पुनः जीवित करना।”
हम चाहते हैं कि त्योहार फिर से वह बंधन बनें जो परिवारों को जोड़ते थे,
जो हमें अपनी भारतीय संस्कृति और सनातन मूल्यों से जोड़ते हैं।
“धर्म व संस्कृति संगम प्रोजेक्ट” केवल व्लॉगिंग नहीं था, बल्कि एक आध्यात्मिक यात्रा थी।
यह यात्रा बीकानेर की परंपराओं को आधुनिक माध्यमों से जन-जन तक पहुँचाने का माध्यम बनी।
JGO Foundation ने यह सिद्ध किया कि —
धर्म और संस्कृति का संरक्षण केवल मंदिरों की जिम्मेदारी नहीं, बल्कि हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है।
क्योंकि जब हम अपनी संस्कृति से जुड़ते हैं, तभी वास्तव में अपने अस्तित्व से जुड़ते हैं।
📍 लेखक: जय गणेशी ऑर्गेनाइज़र फाउंडेशन (JGO Foundation)
📅 प्रोजेक्ट तिथि: 27 अगस्त 2025
🏠 स्थान: बीकानेर, राजस्थान
🎬 श्रृंखला: संस्कृति से संवाद – व्लॉगिंग के माध्यम से धर्म और संस्कृति का संगम