"मैंने नहीं सोचा था कि ध्यान मेरे बच्चों को भी इतना पसंद आएगा…"
— श्रीमती मंजू लूणिया, समाजसेवी, सुगठित गृहिणी, समर्पित माँ
जय श्री राम "मैं एक माँ, एक पत्नी, एक समाजसेवी और एक पूर्णकालिक गृहिणी के रूप में हर दिन अनेक भूमिकाएँ निभाती हूँ। ऐसे में खुद के लिए समय निकालना एक चुनौती बन गया था। लेकिन JGO फाउंडेशन के आमंत्रण पर जब मैंने अपने दोनों बेटों के साथ 'अंतर-ध्यान संगम' में भाग लिया, तो वह अनुभव मेरे लिए और मेरे परिवार के लिए अद्भुत और अविस्मरणीय बन गया।
यह सेशन न केवल हर उम्र और सभी जेंडर के लिए पूरी तरह निःशुल्क है, बल्कि इसकी हर विधि इतनी सरल, व्यावहारिक और आनंददायक थी कि मेरी भागदौड़ भरी दिनचर्या को भी एक आंतरिक विराम और सकारात्मक ऊर्जा मिल गई।
मुझे विशेष रूप से 'नृत्य ध्यान' बेहद प्रभावशाली लगा — यह न सिर्फ एक ध्यान विधि थी, बल्कि एक ऊर्जावान एक्सरसाइज भी थी। इसमें मन भी झूमा और शरीर भी सक्रिय हुआ। मैंने महसूस किया कि मेरा मस्तिष्क शांत हुआ, सोच स्पष्ट हुई, और थकान दूर हो गई।
मेरे दोनों बेटों को मैं ज़रूर लायी थी, पर मुझे नहीं लगा था कि उन्हें यह इतना अच्छा लगेगा। लेकिन उन्होंने तो स्वयं रुचि लेकर हर ध्यान गतिविधि में उत्साह से हिस्सा लिया — वो भी बिना किसी ज़ोर- जबरदस्ती ।
एक माँ के लिए इससे अधिक सुखद क्षण क्या हो सकता है, जब उसके बच्चे ध्यान जैसी कला को हँसते-खेलते अपनाएं।
मैं JGO फाउंडेशन का दिल से आभार व्यक्त करती हूँ, जिन्होंने न केवल मुझे, बल्कि मेरे पूरे परिवार को एक आंतरिक अनुभव की दिशा दी —
शांति, ऊर्जा और आनंद का संगम।